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Sahitya Arpan - डॉ स्वाति जैन
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डॉ स्वाति जैन

Writer's Pen Name not added

मैं एक स्त्री,पेशे से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्यार से एक नई मां, और दिल से एक पुरानी रचनाकार जो समय की आपाधापी से छूटकर अब फिर से अपनी कलम से अपने आप को खोज रही है।

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  • कवितालयबद्ध कविता

    गुरु की महिमा कोई क्या गाए

    • Edited 3 years ago
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    • 248
    • 5 Mins Read

    गुरु की महिमा कोई क्या गायें,
    जीवन सारा ही जिनका ऋण,
    हर रूप में, मानो पाए हैं,
    नर रूप में ,हमने नारायण!
    हम क्या थे बस कच्ची माटी,
    मिले कुशल हाथ कुम्हार के,
    हमें रंग रूप, आकार दिया,
    कभी हो कठोर,कभी प्यार
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    गुरु की महिमा कोई क्या गाए,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

    कवितालयबद्ध कविता

    सोचो न!

    • Edited 3 years ago
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    • 81
    • 2 Mins Read

    दिन बहुत तेजी से छोटे हो रहे हैं,

    हां, वाकई बहुत तेजी से !

    देखो न, अब हम सर उठाकर, डूबते सूरज की तरलता,

    आंखों से कहां पी पाते हैं?!

    सोचो न! इस भागमभाग में, आपसी खींचतान से फटे,

    रिश्तों के पर्दे कहां सी
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    सोचो न!,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    सुंदर रचना विषय आधारित

    डॉ स्वाति जैन3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    मिली कलम पतवार सी

    • Edited 3 years ago
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    • 183
    • 2 Mins Read

    गहरे दुनिया के समंदर में,
    हर उम्र के अपने बवंडर थे,

    इक नाव थी छोटी सी दिल की,
    तूफां कई बाहर अंदर थे,

    हम जोर जोर से चिल्लाए,
    पर कोई नहीं जो सुन पाए,

    सबकी अपनी अपनी थीं लहरें,
    सब अपने शोर से ही बहरे,

    सब
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    मिली कलम पतवार सी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताबाल कविता

    छोटे आका

    • Edited 3 years ago
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    • 146
    • 4 Mins Read

    तिलचट्टे से उचटे जाते,
    गिरते पड़ते रोते गाते,
    दिन भर करते धमा चौकड़ी,
    घर भर इनका ऊधम इलाका,
    हम सब इनके बंदी चारण,
    और ये हमारे छोटे आका!!

    क्या न कर लें जल्दी जल्दी,
    गिर गए ख़ुद ,पर फर्श की गलती,
    भिड़ गए
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    छोटे आका,<span>बाल कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर और मनोहारी..!

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    cuteness overloaded

    कवितालयबद्ध कविता

    महल और झोपड़ी ( मरीचिका)

    • Edited 3 years ago
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    • 243
    • 4 Mins Read

    #महल और झोपड़ी (प्रतियोगिता हेतु)

    बड़े शहर की बड़ी सड़क पर
    कितने चेहरे दिख जाते हैं,
    शहर है या है कोई मंडी,
    खड़े खड़े सब बिक जाते हैं,
    इन रीते चेहरों के पीछे,
    कुछ नहीं है, कुछ नहीं है,
    कुछ नहीं, सचमुच नहीं
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    महल और झोपड़ी ( मरीचिका),<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सुंदर

    डॉ स्वाति जैन3 years ago

    जी धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    बला का जूता

    • Edited 3 years ago
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    • 153
    • 3 Mins Read

    # बला का जूता(प्रतियोगिता हेतु)

    रुग्ण, रूप में रौंदता सा ये समय है,
    हमारे कर्मों से उपजी, जो ये महाप्रलय है,

    मेरा तेरा नहीं, संकट है पूरे विश्व पर,
    लगा ग्रहण मानो, मनुष्य के अस्तित्व पर,

    ये है घड़ी कि,
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    बला का जूता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    कम शब्दों में अत्यंत सुन्दर रचना..!

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना