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Sahitya Arpan - Babita Consul
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Babita Consul

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  • Reader Points 10

  • कहानीलघुकथा

    अपशगुन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 171
    • 5 Mins Read

    लघुकथा -
    अपशगुन "
    "बहू कुत्तों का रोना अच्छा नही होता .....आज भी देखो कितने कुत्ते रो रहें है "।
    जब से ये कोरोना का शोर मचा है ,कोई घर से बाहर नही निकलता,कुत्तों का रोना अपशगुन माना जाता है । कितना खराब
    Read More

    अपशगुन,<span>लघुकथा</span>
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    कविताबाल कविता

    बचपन

    • Edited 3 years ago
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    • 135
    • 5 Mins Read

    वो बीते पल बचपन के
    –-------------------------/

    वो बीते पल बचपन की यादें सताती बड़ी
    अपने गाँव मे अब ना दादी रही
    ना सिर पर अब कच्ची छतें
    ना घर की कच्ची दीवारें रही
    ना अब दादी के हाथों के लड्डू
    ना चुल्हे में पकती रोटी
    Read More

    बचपन,<span>बाल कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आपकी रचना प्रतियोगिता में ऐड नही हुई

    Shantanu Consul

    Shantanu Consul 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    रोशनी की किरण

    • Edited 3 years ago
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    • 313
    • 2 Mins Read

    "रोशनी की एक किरण "

    जगा कर रख बन्दे
    रोशनी की इक किरण
    अन्धेरें चाहे जितना घना हो
    जलाए रखना तू विश्वास की जोत

    मन के हारे हार है
    मन के जीते जीत
    चलना ले आत्विश्वास की डोर
    खुल जायेगें निराशा के बन्द तालें।

    सुरज
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    रोशनी की किरण,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कविताअतुकांत कविता

    • Edited 3 years ago
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    • 172
    • 7 Mins Read

    शुभ दिवस --

    बसन्त पंचमी का अवसर बना यादगार !
    जब मां सरस्वती की कृपा हुई
    आज ही के दिन मेरे बेटे का विवाह हुआ ,
    मुझे मिली बेटी !



    कविता ---महकें घर आंगन

    मेरे आगंन ऋतुराज पधारे
    बसंत पंचमी के दिवस पर

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    म,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअन्य

    बारीश वाला प्यार

    • Edited 4 years ago
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    • 297
    • 5 Mins Read

    विषय -बारीश वाला प्यार
    प्रतियोगिता

    याद है जब सावन ने किया था श्रृंगार
    बारीश की बूंदों ने दी मधुर थाप
    सन सन चल रही थी पुरवाई
    जब शीतल पड़ी फुहारें
    खिलें खिलें मोगरें ,
    रंगत बदली थी कलिया
    मन के
    Read More

    बारीश वाला प्यार ,<span>अन्य</span>
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