कवितानज़्म
नहीं मालूम भला क्या बुरा क्या है
दुनिया -ए -फ़ानी का ये माजरा है
घर से बेघर होकर हो गए दरबदर
फिर राहगुज़र क्या आसरा क्या है
सूरज चांद सितारे बादल उसी के
ये समंदर क्या और दरिया क्या है
खल्क खला खल्वत उसी खुदाकी
ज़मीं क्या और येह आस्मां क्या है
खुदगर्ज है जब येह सारा ज़माना
फिरये वफ़ाक्या और जफ़ा क्या है
दरवेश की अलख निरंजन के बाद
कोईऔर आवाज़ क्या सदा क्या है
तबीब से ज्यादा मुर्शिद आए काम
तोफिर दुआसे बढ़कर दवा क्या है
©"बशर"