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जरा भी नहीं मलाल करते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जरा भी नहीं मलाल करते हैं

  • 89
  • 1 Min Read

हमतो महज़ मज़ाक करते हैं हबीब मग़र कमाल करते हैं,
रंजोग़म बांटकर अपनों को जरा भी नहीं मलाल करते हैं!
© "बशर"

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