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तन्हाई की ख़ामोशी से गुफ़्तगू होती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

तन्हाई की ख़ामोशी से गुफ़्तगू होती है

  • 32
  • 1 Min Read

नाउम्मीदी हद से बढ जाए तो आरज़ू की भी आरज़ू होती है
आलम-ए-तग़ाफ़ुल में तन्हाई की ख़ामोशी से गुफ़्तगू होती है
© "बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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