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कवितानज़्म
जरा सोच समझकर बोला कर अल्फ़ाज गफलत में अक़्सर ही खुल जाते हैं राज कल यहाँ पर किस ने देखा है ऐय दोस्त बोलनेसे कहीं बेहतर ख़ामोशी तेरी आज © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁