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कवितानज़्म
बुढापा वो शय है जिसे औलाद की सहूलियत से बनाया गया है आजकल हमको बेटे के घर से उठाकर बेटी के घर लाया गया है © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁