कवितानज़्म
शाद भी होगा कभी नाशाद हो जाएगा,
देखिए आज रात कौन कौन याद आएगा!
यादों परभी कहां रहा अख्तियार अपना,
कौन पहले और कौन उसके बाद आएगा!
जिन राब्तों के वास्ते रात-भर जागा किए,
उचाट भी होगा मन कभी दिल बेताब आएगा!
अब तो सोने से भी घबराता है मन मिरा,
नींद आएगी तो फिर उन्हीं का ख़्वाब आएगा!
@"बशर "🍁