हर रहा मैं तेरा दीदार
हर चाहा मैं तेरा इंतज़ार,
हर दर्पण में तेरा अक्ष
दिल में बस तू ही एक शक्श ,
सोच में बस तेरा गुमार
तुझसे इश्क़ बेशुमार,
फिज़ाओं में तेरा सुरूर
बस तू ही एक हमारा हुज़ूर,
नज़र आता था हमे कभी,
अब तू नज़र के सामने हो के भी
नज़र नहीं आता...