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हौसला मग़र है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हौसला मग़र है

  • 33
  • 2 Min Read

'बशर' दरबदर है
मन इधर उधर है
पाले हुए मन में
फालतू का डर है।

टूटी हुई कमर है
झुका हुआ सर है
फिरभी बाजुओं पे
ख्वाहिशों के पर हैं।

छोटा-सा सफ़र है
दूर नहीं घर है
सरल-सी डगर है
गर हौसला मग़र है।

@ "बशर"

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