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कवितानज़्म
तवारीख़ में दर्ज कराना चाहे हर कोई नाम अपना लिखे क्या मग़र "बशर" किरदार का काम अपना जगते हुए देखेगए ख़्वाब की ताबीर क्या करे कोई निठल्लों का हुआ कहाँ मुक़म्मल कहीं कोई सपना © dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁