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मुक़म्मल कहीं कोई सपना - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुक़म्मल कहीं कोई सपना

  • 95
  • 1 Min Read

तवारीख़ में दर्ज कराना चाहे हर कोई नाम अपना
लिखे क्या मग़र "बशर" किरदार का काम अपना

जगते हुए देखेगए ख़्वाब की ताबीर क्या करे कोई
निठल्लों का हुआ कहाँ मुक़म्मल कहीं कोई सपना

© dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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