कविताअतुकांत कविता
"लिख सकूं तो"
लिख सकूं तो
मां की महोब्बत लिखना चाहती हूं
नौ महीने का दर्द और
उसकी सहन शक्ति दिखाना चाहती हूं
एक मां के अंदर का तूफान और
बाहर की ख़ामोशी लिखना चाहती हूं
अपने बच्चों के लिए त्याग और
उसका समर्पण बताना चाहती हूं
जिंदगी को देकर
मौत से भी लड़ जाने वाली
उस मां को लिखना चाहती हूं
उसके साये में रहकर
हमेशा बेख़ौफ़ दिखना चाहती हूं
लिख सकूं तो
इस बेइंतहा मोहब्बत को लिखना चाहती हूं
~आरती गोस्वामी✍️