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कवितानज़्म
मुश्क़िल हालात में भी मुस्कुराते रहो ख़्वाब देखते रहो मन्सूबे बनाते रहो मन्नतें इक रोज मुक़म्मल हो जाएंगी इबादत को बारगाहेइलाही जाते रहो © डॉ.एन.आर.कस्वाँ"बशर"