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शराब हदें भूल जाती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

शराब हदें भूल जाती है

  • 85
  • 1 Min Read

आपका चाहे जो भी मतलब रहा हो लिखते वक़्त
पढने वालेतो मतलब अपना निकालेंगे पढते वक़्त

कोई बेहोश हो साकी कब चाहता है पिलाते वक़्त
कमबख़्त शराब मग़र हदें भूल जातीहै चढते वक़्त

@"बशर"

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