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कवितानज़्म
आपका चाहे जो भी मतलब रहा हो लिखते वक़्त पढने वालेतो मतलब अपना निकालेंगे पढते वक़्त कोई बेहोश हो साकी कब चाहता है पिलाते वक़्त कमबख़्त शराब मग़र हदें भूल जातीहै चढते वक़्त @"बशर"