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कवितानज़्म
सरगम है उदास उदास रूठे रूठे से ये सब साज हैं मधुर मोहक मनभावन सुरीली फिर भी आवाज़ है हालात नाखुशगवार हैं और तबियत भी नासाज़ है ऐसे में भी "बशर" तिरी मुस्कुराहट का क्या राज है @"बशर"