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बुज़ुर्ग सयाने गुज़र गए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बुज़ुर्ग सयाने गुज़र गए

  • 38
  • 2 Min Read

इल्म-ओ-अदब के सारे ख़ज़ाने गुज़र गए,
क्या खूब थे वो लोग पुराने, गुज़र गए!
बाकी है जमीं पर फ़क़त आदमी की भीड़,
इन्सां को मरे हुए तो ज़माने गुज़र गए!
बुरे ख़्वाबों की अच्छी ताबीर बताने वाले,
मुस्बतफ़िक्री के बशर दीवाने गुज़र गए!
मर्ज -ओ -दर्द की दवा शिफ़ा बताने वाले,
हुआ करते थे बुज़ुर्ग सयाने गुज़र गए!
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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