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राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते

  • 33
  • 1 Min Read

किराए के मकान कभी कहीं घर नहीं हुआ करते
काफ़िले के मुसाफ़िर हम -सफ़र नहीं हुआ करते

मंज़िले -मक़्सूद ''बशर'' खुद तय करता है अपनी
राह -ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते

© "बशर" بَشَر 🍁

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