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और बात - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

और बात

  • 85
  • 1 Min Read

खुद को बनाना और बात है खुद को जानना और बात
किसीसे मनवाना और बात किसीको मानना और बात

किसीको कहना और बातहै किसीको सुनना और बात
किसीको चाहना और बात किसीके हो जाना और बात

© "बशर" بَشَر 🍁

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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