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कवितानज़्म
औरत को गर 'बशर' चाहिए निज सुखी जीवन सूरत से भी बढ़ कर होता है उसका स्वावलंबन पराश्रयी परजीवी पराधीन अनुजीवी अनुगामी अबला को चाहिए हरसम्त किसीका अवलंबन @ "बशर"