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उनकी छवि मेरे मन में - Divakar Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

उनकी छवि मेरे मन में

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उनकी छवि मेरे मन में

उनकी छवि मेरे मन में कुछ इस तरह बनी कि उन्हें देखे बिना इसे चैन नहीं आता

है माना कि बहुत व्यस्त रहती हैं आप कहीं तभी तो मेरे जवाब मुझे देर से मिलते हैं पर जब अब जवाब देर से मिलती है तो माना की मेरे मन में द्वंद चलता रहता है

ये द्वंद हर पल मुझे तुम्हारी ही तस्वीर को दिखा जाता है तस्वीर से याद आता है कि दिल में एक तमन्ना उठती है कि काश

मेरे पास उनकी एक तस्वीर होती उन्हे अपने पास संजोए रखता मोबाइल का जमाना है उनकी फोटो को अपनी मोबाइल का वॉलपेपर बना रखता

यदि उनकी तस्वीर होती यदि उनकी तस्वीर होती

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