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कवितानज़्म
तुम यहाँ कहाँ हो हम यहाँ कहाँ हैं हमारे तुम्हारे सिवा कोई औरही यहाँ है अकेले और तन्हा हैं आए जब से यहाँ हैं इन्सान यहाँ कहाँ है फरिश्तों का जहाँ है हरकोई जुदा जुदा है अपने में ही ख़ुदा है जफ़ाओं की सबा है बशर तूकहाँ फिदा है @"बशर"