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अपने हमसफ़र भी हम हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अपने हमसफ़र भी हम हैं

  • 84
  • 2 Min Read

शायर भी हम हैं
सुख़नवर भी हम हैं
सुख़नवरी के सफ़र में
कारवाँ के रहबर भी हम हैं

कांटे हैं ज्यादा
और फूल कम हैं
कलियों के हैं रखवाले
मंडराने वाले भ्रमर भी हम हैं

राही भी हम हैं
मंज़िल भी हम हैं
काफ़िला हमारा कम है
हमारे अपने हमसफ़र भी हम हैं

मुसलसल है चलना
मरहलों से है निकलना
जहां ठहर गए वही मंज़िल
हमारी अपनी रहगुज़र भी हम हैं

@"बशर"

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