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कवितानज़्म
रोज - ओ -शब यहाँ हालात नये मिलेंगे मंज़र है मुख़्तलिफ जज़्बात नये मिलेंगे मुशाविर - ओ -नासेह पहले वाले कहां किताब पुरानीपढ़ो ख़्यालात नये मिलेंगे ~ dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁