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कवितानज़्म
अय्यारी जहाँ होगी, मय्यारी कहाँ होगी! जि-सू हो मक्कारी, दुश्वारी वहाँ होगी! मतबख़ में तकरार, तरकारी कहाँ होगी! हर-सू जंगे इम्तिहाँ, तैय्यारी कहाँ होगी! मरमिटने में जीनेकी, फिरबारी कहां होगी! तू-तू मैं-मैं बीच बारी, हमारी कहाँ होगी!! © dr.n.r.kaswan "bashar"