कविताअन्य
हर किसी रिश्ते नाते से ऊपर
मैने दोस्ती को माना है,
थोड़ा और समझदार हुआ तो
उनसे भी ऊपर एक इंसान को जाना है।
Fashion का उसे कुछ खास पता नहीं
ना वो मैचिंग रंगों का ज्ञाता है
मेरी हर मुस्किल घड़ी में मेरे साथ खड़ा
सिर्फ वोही नज़र आता है।
जब बात कोई 10 बार कहे तब नहीं
गुस्से से जब कोई बात कहे तब मेरे हर बात समझ में
आती है
उसके बिना ज़िंदगी
सोच कर भी रूह सी कांप जाती है।
मन हुआ बहुत बार की उसके गले लग जाऊं
पर अभी भी उसके गुस्से का डर है,
वो देवता है उस मंदिर का
अगर मन्दिर असल में घर है।
इतनी परेशानीयों के बाद भी
मुझे उसके माथे पर सिकन कभी दिखी नहीं
वो किस्मत भी उसने मेरी बना दी,
जो भगवान ने भी सायद लिखी नहीं।
दुनिया न जाने क्यूं आज तक
इस सत्य से अनजान है
लोगों का पता नहीं पर मेरे लिए
मेरा पिता ही सच्चा भगवान है।
____अमित