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झूमती है कहकशाँ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

झूमती है कहकशाँ

  • 30
  • 2 Min Read

मयकदे में क्या रखा है मय-कशी में क्या नशा
पैमाने झूमते ही रहते होता सुरा में अगर नशा!

सफ़्फ़ाक चांदनी में है इतना नशा बशर कि ये
चाँद सितारों की रौशनी में झूमती है कहकशाँ!

डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁

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