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कवितानज़्म
काबा देखा काशी देखी दैर -ओ -हरम देखा राम रहीम नहीं देखे पर उन का करम देखा मानाकि फिरकों में बंटा हुआ है यह आदमी जोड़नेवाला मग़र आदमियत का धरम देखा © dr. n. r. kaswan "bashar" 🍁