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अंतर्मन की व्यथा - Pawan Kumar (Sahitya Arpan)

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अंतर्मन की व्यथा

  • 90
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किसी इंसान का छोड़ जाना जितना दुख देता है उससे कही ज्यादा तकलीफ देता है वो अनकहे जज्बात
वो अनकही,अनसुनी बाते
अंतर्मन के कुछ सवाल
और सवाल भी ऐसे जिनका जवाब सिवाय उस इंसान के कोई नही दे सकता
और हम भी तो नही सुना सकते हर किसी को वो बाते जो सिर्फ हमे उससे करनी थी
नही दिखा सकते वो जज्बात जो उस शख्स के लिए थे
नही कर सकते वो सवाल किसी भी समझदार इंसान से जो उससे करने थे
और अंततः इन सब का परिणाम जो निकलता है वो बड़ा ही खतरनाक होता है
इन सब के परिणामस्वरूप
खो जाती है किसी के चहरे की हंसी
मर जाति है किसी के हृदय की भावनाएं
टूट जाति है उम्मीदें
बिखर जाते है ख्वाब
छूट जाता है किसी का खुशियों में शामिल होना
और टूट जाता है विश्वास
फिर नही रहती किसी से उम्मीद
नही कर पाता जल्दी से यकीन किसी पर
तन्हाई और अंधेरे को अपना साथी मान लेना
फिर वो नही कह पता इस अंतर्मन में चल रहे संघर्ष को
ना घर वालो से ना दोस्तो से
ना अपनों से ना पराए लोगो से
इस अंतर्मन के युद्ध में हार कर कोई कर लेता है खुदकुशी तो कोई मोड़ लेता है दुनिया की तमाम रौनको से अपना मुंह
और ये सब अगर जवानी की उम्र में हो तो इंसान जिंदा लाश बन के रह जाता है

अंतर्मन की व्यथा🥹
पवन✍

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