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आजाद मुक़म्मल तौर से ख़ुश्बू-ए-चमन है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

आजाद मुक़म्मल तौर से ख़ुश्बू-ए-चमन है

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बागबां के इख़्तियार में 'बशर' सिर्फ़ तरबियते-गुलो-गुलशन है
किसी कैद से आजाद मग़र मुक़म्मल तौर से ख़ुश्बू-ए-चमन है
@"bashar"

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मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
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