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स्कूली एग्जाम - Rinku Bumra (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

स्कूली एग्जाम

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१ इस मिट्टी पर जन्म हुआ है
इस मिट्टी पर मर जाना है
किस मुस्किल से पाला मुझको
मुझे उसका कर्ज चुकाना है
पापा मैने देखी है कमीज तुम्हारी पसीने की
उस कमीज से मुझको पसीने को हटाना है

केसे चुकाई फीस मेरी पापा तुमने किस्तों में
तब जाकर पाई मैने महंगी कितनी शिक्षा है
चिंता मत करना बापू मेरी मेहनत रंग लायेगी
अखबारों मे फोटो होंगी अब यही करके दिखलाना है

इन रातों में बैठकर तू चीर किताबो का सीना
मम्मी बोलेगी सोजा अब सूरज उगने वाला है
गली गली और मोहल्लो में पूछेंगे किसका बच्चा है
तेरे मार्क्स बताएंगे ये उस स्कूल का बच्चा है

पढ़ा नही क्या तुमने कभी किरण बेदी के जीवन को
घर जाकर अपनो से कहना मुझको बेदी बनना है
क्या सीखा तुमने बच्चों भगत सिंह और बोस से
मुसीबतों को गले लगाना हार कभी ना जाना है

क्या हुआ जो कल गिरे थे तुमने कुछ तो सिखा है
गिरने का तुम आनंद लेना फिर आगे को बढ़ जाना है
परेशानी जो कल आई थी आगे भी वो आएंगी
हाथ मिलाना परेशानी से बस यही मुझे समझाना है

जीना है सुनहरा जीवन कठिनाइयों को न्यौता दे आना
कठिनाइयां होंगी बाजू में फिर खुशियों से समझौता करना हैं
तुम भी भूखे मै भी भूखा बापू से पीठ थपाने का
खुशियों के आंसू बह निकलेंगे फिर मां से वो पुछवाना है
इस मिट्टी पर जन्म हुआ है
इस मिट्टी पर मर जाना है

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