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कवितानज़्म
सुना है वोह ख़्वाबों की ताबीर बताते हैं, हाथों की लकीरों में तक़दीर बताते है! फ़जूल तजवीज़ से अलग हौसले वाले, बाजुओं की ताक़त से तदबीर बताते हैं! © डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"