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जाहिलों को मज़हब का सहारा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जाहिलों को मज़हब का सहारा

  • 92
  • 1 Min Read

अक्लमंद को होता है हमेशा तालीमो-इल्मो-हुनर गवारा
जाहिलों को मग़र चाहिए फ़रेब -ओ -मज़हब का सहारा
© डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" 🍁

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