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बनालेना उम्रेतमाम का तख़मीना - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बनालेना उम्रेतमाम का तख़मीना

  • 90
  • 1 Min Read

जलील, रुसवा बेइज्ज़त बदनाम होकर जीना
कौन बदनसीब चाहेगा ज़िल्लत का ज़हर पीना

हरकाम में बहाना पड़ता है पसीना 'बशर' मग़र
मुनासिब नहीं बनालेना उम्रेतमाम का तख़मीना

© dr. n. r. kaswan "bashar" 🍁

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