Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
अहल-ए-करम देखते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अहल-ए-करम देखते हैं

  • 91
  • 1 Min Read

यूंतो बशर अक़्सर हम किसीको कम देखते हैं
जो किसीको नहीं देखता उसीको हम देखते हैं

राह-ए-दरवेश-ओ-फ़कीरों केजो रहते मुंतज़िर
राहे-दर हज़ार उसकी अहल-ए-करम देखते हैं

© dr. n.r.kaswan "bashar" 🍁

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg