कवितानज़्मगजलगीत
ना मोहब्बत मिली ना सहारा मिला,
उनसे बिछड़ा तो ना मैं दोबारा मिला,
दिल दिया था उन्हें आशिक़ी के लिए,
उनके क़दमों में ये दिल हमारा मिला,
पल भर में वो तो जुदा हो गये,
भुल जाने का हमको इशारा मिला,
उनकी निगाहों में हमने की खुदखुशी,
ना कस्ती मिली ना किनारा मिला,
फरिश्ते भी थे उन्ही की तरफ,
इल्जाम हम पर सारा का सारा मिला!