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कवितानज़्म
मस'अला तो मसर्रतों का है जनाब, फ़र्क धनी ग़रीबमें कुछ नहीं होता है! खुशियाँ भी उसी को नसीब होती हैं, जिन के नसीब में कुछ नहीं होता है!! © dr. n. r. kaswan "bashar" 🍁