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मस'अला तो मसर्रतों का है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मस'अला तो मसर्रतों का है

  • 85
  • 1 Min Read

मस'अला तो मसर्रतों का है जनाब,
फ़र्क धनी ग़रीबमें कुछ नहीं होता है!

खुशियाँ भी उसी को नसीब होती हैं,
जिन के नसीब में कुछ नहीं होता है!!

© dr. n. r. kaswan "bashar" 🍁

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