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उतने ग़म न मिले - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

उतने ग़म न मिले

  • 29
  • 1 Min Read

ऐसाभी नहीं के उसके बाद अहले करम न मिले
"बशर" तो बहोत मिले मग़र उन से हम न मिले

सच हैकि उनसे जुदा होकर ग़मभी कम न मिले
उनसे मिलकर जितने मिले थे उतने ग़म न मिले

#"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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