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कवितानज़्म
इश्क़ रहमत है खुदा की ये इबादत से कम नहीं प्यार-मुहब्बत रिश्तों की हिफ़ाज़त से कम नहीं ये राह-ए-सफ़र-ए-हयात दुश्वार है बहोत 'बशर' ग़मे-इश्क़ में मरना जीनेकी आदत से कम नहीं © डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"