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वो भी कुछ मग़रूर था - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

वो भी कुछ मग़रूर था

  • 94
  • 2 Min Read

उनका यही कसूर था,
हमारा वही कसूर था!
हम भी उन से दूर थे,
वोह भी हमसे दूर था!!

बे-सबब चर्चा रहा कि
दर्मियां कुछ ज़रूर था!
सबा में जज़्ब हो गया,
इक सफ़ेद काफ़ूर था!!

ना तो हम मज़बूर थे,
ना ही वोह मज़बूर था!
हमको कुछ सरूर था,
उनको कुछ गरूर था!!

फ़साद खड़ा कर गया,
बे - मतलब फ़ितूर था!
हमभी कुछ मग़रूर थे,
वोभी कुछ मग़रूर था!!

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁

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