कवितानज़्म
उनका यही कसूर था,
हमारा वही कसूर था!
हम भी उन से दूर थे,
वोह भी हमसे दूर था!!
बे-सबब चर्चा रहा कि
दर्मियां कुछ ज़रूर था!
सबा में जज़्ब हो गया,
इक सफ़ेद काफ़ूर था!!
ना तो हम मज़बूर थे,
ना ही वोह मज़बूर था!
हमको कुछ सरूर था,
उनको कुछ गरूर था!!
फ़साद खड़ा कर गया,
बे - मतलब फ़ितूर था!
हमभी कुछ मग़रूर थे,
वोभी कुछ मग़रूर था!!
© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁