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आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं

  • 33
  • 1 Min Read

जीवन में जितना भी हम कह पाते हैं
उससे ज़्यादातर कहने से रह जाते हैं

आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं
भीतरवे भारी जलजला लेकर आते हैं

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁

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