Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
जीवन में जितना भी हम कह पाते हैं उससे ज़्यादातर कहने से रह जाते हैं आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं भीतरवे भारी जलजला लेकर आते हैं © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁