कविताअन्य
कर्ण युद्ध में
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जा कर कह दो कान्हा क्षत्रियों से बाण अपने धार धर लें
कर्ण आ गया है मध्य में वो दुर्योधन पर वार कर ले
हो गर्व जिनको अपने शस्त्र और पुरुषार्थ पर
मैं खड़ा समर में अर्जुन जितना चाहे वार कर लें
मित्र के लिए सारे मोह को मैं छोडूंगा
आ गया हु रण में सारे नीतियों को तोडूंगा
है प्रतिज्ञा मुझको मेरी जननी की इस युद्ध में
की हो समक्ष इंद्र भी तो हाथ मैं ना जोड़ूंगा
मेरी स्व रचित कविता
। प्रदीप कुमार ।
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