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कवितानज़्म
ताबीर क्या करें उलझे हुए ख़्वाब की फ़जूल है तजस्सुस दिल-ए-बेताब की सूरत धुंधला गई उन के तबो-ताब की फ़ितरत यही बशर आईना ख़राब की डॉ.एन.आर.कस्वा # बशर --------------------------------- ताबीर=व्याख्या, तजस्सुस=उत्सुकता, तबो-ताब=चमक-दमक, फ़ितरत=शरारत