कविताअतुकांत कविता
कविता - दो अनाथ
#हिंदी दिवस .
.............
माना जीवन है कठिन ,
काँटों भरी क्यारी है ,
फिर भी हम -तुम मिलकर ,
झेलेंगे पथ की जो दुश्वारी है ।
तेरा मेरा नाता क्या ?
हूँ मैं अनाथ ,है तू अनाथ !
बंधे दोनों सम पीड़ा से ,
है नहीं हमारे बीच स्वार्थ ।
तेरी नन्ही माँ बन जीयूँ ,
है जो भाग्य विधान सह लूँ ।
तू मेरे भीतर अपना देख ,
मैं तेरे साथ किनारा देखूं ।
हम जग में उनसे भले ,
जो हैं नितांत शून्य ,अकेले !
छोटे हैं तो क्या दुःख ,
इक दूजे संग पा लेंगे हर सुख ।
मैं तुझको दूँ ममत्व ,
तू मुझको दे उपहार अपनत्व ।
...............................
डॉ संगीता गांधी