Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ज़िन्दगी नए नए रंग बदलती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ज़िन्दगी नए नए रंग बदलती है

  • 36
  • 2 Min Read

मौसम-ए-बहार फितरतें बदलती है,
अपनी जिंदगी भी अजनबी लगती है!

रोजो-शब का मुसलसल अनाजाना,
हयात भी किसी मशीन-सी चलती है!

धूपछांव का सा है सब खेल तमासा,
दिन ढलतेही इक परछाई निकलती है!

बिखरती है बिफरती है निखरती है,
ज़िन्दगी रोज़ नए -नए रंग बदलती है!

© dr. n. r. kaswan "bashar"
Surrey/02/02/2024

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg