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सूना है फ़लक महताब के बग़ैर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सूना है फ़लक महताब के बग़ैर

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  • 3 Min Read

आबरू क्या है हुस्न की ताब के बग़ैर
क़ीमत क्या है हीरे मोती की आब के बग़ैर !

मुहब्बत होतीहै हर किसीको किसीसे
इश्क क्या है मग़र आशिक बेताब के बग़ैर !

सोना बहुत जरूरी है हयात में अक़्सर
बे-सबब नींद क्या है किसी ख़्वाब के बग़ैर !

आनाजाना ही नहीं काफी मयकदे मे
हाथों में पैमाना भी क्या है शराब के बग़ैर !

टिमटिमाते हैं यूंतो सितारे हजारों मग़र
सूना है फ़लक बशर इक महताब के बग़ैर!

© ✒️ डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" 🍁

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