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कवितानज़्म
बदले बदले मेरे सनम बदले मंज़र हयात के फुरक़त फ़िराक़ फासले मारे हम हालात के हिज्र ये दूरियाँ कुछ वुजूहात ओ मजबूरियाँ हैं मुंतज़िर दोनों तरफ़ अहबाब मुलाक़ात के © डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"