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वक़्त को आते-जाते साल न समझ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

वक़्त को आते-जाते साल न समझ

  • 41
  • 1 Min Read

हासिल-ए-ऐश-ओ-इशरत को कमाल न समझ
है बड़ी दो पल खुशी बड़े अपने मलाल न समझ

मुसलसल बहता हुआ आब -ए -दरिया है वक़्त
वक़्त को मग़र 'बशर' आतेजाते साल न समझ

© dr. n. r. kaswan "bashar"🍁

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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