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ख़्वाब बिखर जाएगा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ख़्वाब बिखर जाएगा

  • 40
  • 2 Min Read

किस का रस्ता देखता है कौन आएगा
राहे-हयात देखते हुए क्या मर जाएगा

माना कि कुछ नहीं अच्छा वक़्त तिरा
बुरा है वक़्त जरा मग़र गुज़र जाएगा

मंज़िल ए मक़्सूद है दो कदम पर तेरी
लौट कर इस मकाम से किधर जाएगा

घर से निकलने से पहले ही सोच लेना
कि इस बस्ती से कौन से शहर जाएगा

रात के सफ़र से दिन के सफ़र जाएगा
नींद खुल जाएगी ख़्वाब बिखर जाएगा

© dr. n. r. kaswan "bashar"

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