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कवितानज़्म
उम्रे-तमाम हुई बसर बताने में कि किधर क्या है रहबर को क्या पता कि लुत्फ-ए-जिंदगी क्या है है जिसको मुफ्त में मयस्सर पीने केलिए दरिया सागर को क्यापता प्यास क्या है तिश्नगी क्या है © dr. n. r. kaswan "bashar"