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कैसा अजीब सा इस दुनिया का खेल - Praveen mangliya (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

कैसा अजीब सा इस दुनिया का खेल

  • 49
  • 1 Min Read

कैसा हो गया
इस दुनिया का ऐसा अजीब सा खेल
मा बन गयी मॉम
और पापा बन गये डेड
रिश्ते नाते छोड़े सबने
हो गयी उनसे ऐठ
कोई नही दे रहा है
इस दुनिया की पेठ

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